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फसल अवशेष प्रबंधन योजना पर कार्यशाला का आयोजन

भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (अटारी), लुधियाना द्वारा दिनांक 26 अप्रैल 2024 को "फसल अवशेष प्रबंधन: कृषि विज्ञान केंद्रों की पहल और आगे की राह" पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस आयोजन का उद्देश्य 2023-24 फसल अवशेष प्रबंधन परियोजना के दौरान कृषि विज्ञान केंद्रों (KVK) द्वारा संचालित सूचना, शिक्षा और संचार (IEC) गतिविधियों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन करना था। कार्यशाला में 120 से अधिक हितधारकों ने भाग लिया, जिनमें कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, भारत सरकार और पंजाब एवं हरियाणा के राज्य कृषि विभागों के वरिष्ठ अधिकारी; पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना, गुरु अंगद देव पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, लुधियाना एवं चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के विस्तार शिक्षा निदेशक; दोनों राज्यों के कृषि विज्ञान केंद्रों के प्रमुख एवं वैज्ञानिक; कस्टम हायरिंग सेंटर (CHC) के अधिकारी और किसान शामिल हुए।

कार्यशाला की मुख्य अतिथि, श्रीमती एस. रुक्मणि, संयुक्त सचिव (मशीनीकरण और प्रौद्योगिकी), कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, भारत सरकार ने सभा को संबोधित करते हुए  फसल अवशेष जलाने और भूजल की कमी जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर जोर देते हुए पंजाब और हरियाणा की कृषि नवीनता की सराहना की। उन्होंने तकनीकी, अर्थशास्त्र और उद्यमिता के माध्यम से कृषि में स्थिरता पर जोर देते हुए पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र प्रबंधन पर ठोस कार्रवाई की भी वकालत की।

आयोजक संस्थान के निदेशक डॉ. परवेंदर श्योराण ने कार्यशाला के उद्देश्यों को रेखांकित किया और फसल अवशेष प्रबंधन (CRM) परियोजना के तहत पंजाब, हरियाणा एवं दिल्ली और  उत्तरप्रदेश के 60 कृषि विज्ञान केंद्रों के प्रयासों का अवलोकन प्रस्तुत किया। उन्होंने फसल अवशेष प्रबंधन परियोजना के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए विविध हितधारकों की भागीदारी के महत्व पर जोर देते हुए क्षेत्र में टिकाऊ कृषि के लिए एक मजबूत रणनीति और दृष्टि की आवश्यकता पर बल दिया।

क्षेत्र के कृषि विश्वविद्यालयों के विस्तार शिक्षा निदेशकों ने प्रशासकीय बदलावों द्वारा कृषि विज्ञानं केंद्रों को उचित समर्थन देने और सुदृढ़ बनाने का आश्वासन दिया।  साथ ही, फसल अवशेष प्रबंधन को सफल करने के लिए संपुर्ण साल जागरूकता एवं क्षमता निर्माण कार्यक्रम करने पर जोर दिया। इसके अलावा, फसल अवशेष को पशु चारे के रूप में उपयोग में लाने के लिए किसानो को प्रेरित करने का सुझाव दिया गया। 

कार्यक्रम के दौरान, फसल अवशेष प्रबंधन परियोजना को जमीनी-स्तर पर अधिकतम प्रभावशाली और कार्यशील बनाने के लिए व्यापक चर्चा की गई। परियोजना के तहत, भविष्य की रूपरेखा तैयार करने और कार्य योजनाओं को अंतिम रूप देने  के लिए प्रतिभागियों से विस्तृत विचार-विमर्श किया गया।  इसके अतिरिक्त, फसल अवशेष प्रबंधन को बढ़ावा देने में कस्टम हायरिंग सेंटरों (CHC) की भूमिका पर भी विस्तार में चर्चा की गई। 

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